आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
Gayatri Ki Asankhya Shaktiyan - a Hindi book by Sriram Sharma Acharya
संसार में अनेक देवताओं के रूप में जो अनेक शक्तियाँ दृष्टिगोचर हो रही हैं जिनकी सहायता से हमारा जीवन धारण, पोषण, अभिवर्धन एवं श्रेय साधन हो रहा है। वे गायत्री महाशक्ति के अंतर्गत आती हैं। उसे यों भी कहा जा सकता है कि वे गायत्री स्वरूप ही हैं। विश्वव्यापी जल तत्व-नदी, सरोवरों, कूप, तालाबों, जलाशयों, हिंमश्रृंगों, समुद्र और बादलों में विभिन्न रूप, स्वाद और स्थिति में दिखाई पड़ता है। उसी प्रकार यह गायत्री महातत्त्व अगणित देव-शक्तियों के रूप में ही जाना जा सकता है।
गायत्री की असंख्य शक्तियाँ
अनुक्रम
- गायत्री की असंख्य शक्तियाँ
- गायत्री की असंख्य शक्तियाँ और उनका सान्निध्य
- अचिन्त्यलक्षणा
- अव्यक्ता
- अम्रतार्णवमध्यस्था
- अजिता
- अपराजिता
- अणिमा द्विगुणाधारा
- अर्कमंडलसंस्थिता
- अजरा
- अजा
- अकारादिज्ञकारांता
- अरिषड् वर्गभेदिनी
- असुरघ्नी
- अलक्ष्मीघ्नी
- आदिलश्मी
- आदिशक्ति
- आग्नेयी
- आसनस्थिता
- अंतरध्वान्तनाशिनी
- इष्टदा
- इंदुरूपिणी
- इषुसंधानकारिणी
- इड़ापिंगलारूपिणी
- ईश्वरीदेवी
- उषा
- उडुप्रभा
- ऊर्ध्वकेशी
- ऊर्ध्वाधोगतिभेदिनी
- ऋषिदेवनमस्कृता
- ऋणहर्ती
- ऋषि-मंडलचारिणी
- ऋजुमार्गस्था
- ऐहिकामुष्मिकप्रदा
- ओतप्रोतनिवासिनी
- औपासनफलप्रदा
- कलकंठिनी
- कल्याणी
- कालरूपिणी
- कमंडलुधरा
- कर्मनिर्मूलकारिणी
- कामदुधा
- खड्ग
- खेटकरी
- खेचरी
- खलघ्नी
- गंगा
- गोमयी
- गीता
- गुणात्रयविभाविता
- गुणवती
- गुर्वी
- गुह्या
- गर्वापहारिणी
- घोषा
- चतुर्भुजी
- चातुरी
- चरित्रप्रदा
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